अदला बदली [Hindi Satirical Poem]

अदला बदली Hindi Satirical Poem by Gaurav Sinha, Social Issues in India, Indian Politics | Hindi Vyangya Kavita

Two identical twins smilingly looking at each other
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क्यूँ न एक काम करें,
सभी परिभाषाओं को बदलकर,
उन्हें उलट पुलट कर दें।

सरकार कहलाए कोरपोरेट,
नौकरी की अर्ज़ी हिकारत।
बेरोज़गारी हो स्वावलंबी,
और मुजरिम कहलाएँ नेता जी।

देशप्रेम और आतंकवाद भी तो कितने पुराने
और बोरिंग शब्द हो गए हैं।
तो, इनकी भी हो अदला बदली।

तानाशाही हो डेमोक्रेसी,
युद्ध कहलाए शांति।
चुनाव हो प्रीमियर लीग,
मुँह बंद रखना कहलाए क्रांति।

भुखमरी और गरीबी का भी हो खात्मा,
तरक्की और विकास हो इनकी व्याख्या।

हाँ, एक बात का ज़रूर ध्यान रहे,
कि, छब्बीस जनवरी की सुबह,
ठीक आठ बजे, लाल किले से हो,
इस क्रांतिकारी कदम की घोषणा।

आसान हो जाएगा, मीडिया के लिए भी सब कुछ,
और नहीं मचेगा टीवी पर, फिर कभी कोई संग्राम।

इस उलट पुलट और अदला बदली के बाद,
सदियों से राम भरोसे चल रहा ये देश।
बुलेट ट्रेन की रफ्तार से उड़ेगा,
क्योंकि चलना तब, उड़ना कहलाएगा।

गौरव सिन्हा 
12 मई, 2024

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