city diary

लाइफ टाइम गैरंटी।

An Indian man in a utensil shop holding a mug, with a smiling shopkeeper in background 

लाइफ टाइम गैरंटी Hindi BlogPost by Gaurav Sinha

बात ज़्यादा पुरानी नहीं, इसी साल दीवाली की है। धनतेरस में बर्तन खरीदने बाज़ार निकला था। यूँ तो घर में एक्सट्रा बर्तनों की जरूरत नहीं थी, पर सोचा प्लास्टिक की पानी की बॉटल से छुटकारा पाया जाए। तो एक दुकान पर स्टील पर कॉपर प्लेटड मग मिला और एक तांबे की बॉटल। दुकानदार मस्तमौला था, अच्छी बिक्री हो रही थी, तो अच्छे मूड में था।  वैसे बाद में पता चला कि उसका स्वभाव ही हमेशा अच्छे मूड में रहने वाला है। पैसे देते वक़्त भाई साहब शुरू हो गए। “अरे सर ,लाइफ टाइम गैरंटी है ले जाइए बेखौफ” मेरे मुँह से बरबस निकला “दोस्त गैरंटी तो इंसान की लाइफ की नहीं, आज है कल नहीं, और तुम इस पानी के मग और बॉटल की गैरंटी देने बैठे हो, पक्के दुकानदार हो, बेचने में माहिर।” सुनते ही भाई भी हँसा और बोला आपने बात पकड़ ली। और भी कस्टमर थे, तो बात को संभालते हुए बोला कि कोई दिक्कत हो तो वापस ले आना आप। ख़ैर पेमेंट की गई, और क्यूंकी ऑनलाइन पैसों का भुगतान हुआ था। तो उसने मुझसे स्क्रीनशॉट मांग लिया, मैंने सोचा चलो ठीक है, इसी बहाने नंबर रहेगा और आगे भाई साहब की गैरंटी की असलियत भी पता चल जाएगी।

कुछ ही दिनों में कई प्रदेशों में चुनाव हुए, खूब शोर शराबा हुआ, रिज़ल्ट आया और उनमें भी गैरंटी ही गैरंटी की गूंज थी। वैसे चुनावी वादों की हक़ीक़त तो वादा करने वाले और उसपर भरोसा करने वाले दोनों को पता ही होती है। लेकिन फिर उम्मीद और भरोसे पर दुनिया कायम है तो खेल बदस्तूर चलता रहता है।  ख़ैर, वापस अपने मस्तमौला दुकानदार की तरफ आते हैं। कुछ दिनों पहले मार्केट में फिर मुलाक़ात हुई, मेंने उसे पहचान लिया था, पर चुप रहा कि क्या ही उसकी लाइफटाइम गैरंटी की फजीहत करूँ। पर वही सामने से बोल पड़ा अपने चित परिचित खुशमिजाज़ अंदाज़ में। तो मुझे भी बताना पड़ा कि तांबे की कोटिंग पहले ही दिन पानी पानी हो गई थी। भाई ने बिना समय गँवाए कहा, “आपने बताया नहीं, कोई नहीं आप नए साल के बाद आइये सारी समस्या का हल निकाला जाएगा।” उसकी इस लाइन बोलने के अंदाज़ से पता चला कि आजकल के एक पोपुलर अंतर्यामी स्पीरीचुयल इन्फ़्लुएन्सर को फॉलो कर रहा है शायद।

मजे की बात ये थी कि उसने मुझे डॉक्टर साहब बुलाया। और जब घर वापस दूसरे दिन मेंने उसको लाइफटाइम गारंटी वाले मग कि फोटो भेजी तब उसका जवाब आया, कि अभी बाहर हूँ, जल्दी ही कुछ करता हूँ। मगर इस बार मैं उसके लिए बैंकर हो गया था। न मैंने उसे कुछ बताया कि में क्या करता हूँ क्या नहीं। पर जिस तरह एक दिन में उसने मुझे पहले डॉक्टर और फिर बैंकर की उपाधि दे दी। उससे एक बात तय है कि उसकी कल्पना शक्ति कि कोई सीमा नहीं। वैसे कुछ ही दिनों की बात है, हम देखेंगे कि अपना ये देसी क्रिस्टोफर नोलन अपने वादे पर खरा उतरता है या इसकी गारंटी भी चुनावी वादों जितनी ही खरी साबित होती है ।

दिल्ली से पटना आए हुए चार साल पूरे हुए इस दिसंबर। चाहे पटना एयर पोल्लुशन और मौसम के मामले  में दिल्ली के किसी दूर के रिश्तेदार जैसा हो।  और उसको कड़ी टक्कर दे रहा हो कि देखो हमारे यहाँ की गर्मी, सर्दी और हवाई धूल भी सेम लेवेल पर है। मगर जो बात इस शहर को दिल्ली या किसी भी और शहर से अलग बनाती है, वो है यहाँ के लोगों की बेफिक्री। सड़क पर ड्राइविंग के अलावा हर बात में तसल्ली और फुर्सत है। राह चलते, या किसी दफ्तर में, या फिर फल खरीदते हुए, बस एक बार बात शुरू करने की देर है। लोग बेतकल्लुफ़ होकर दिल की बात कहने लगते हैं, जैसे बचपन की यारी हो। इसीलिए जब भी घर से बाहर कदम रखो एक नया किरदार टकरा जाता है और खुद ब खुद अपनी कहानी कह जाता है। हुमन्स ऑफ बॉम्बे नाम का एक चैनल है। सोच रहा हूँ एक ब्लॉग सिरीज़ शुरू करूँ सौल्स ऑफ पटना ! शुरू क्या करूँ, शुरू हो ही गया इस पोस्ट से। हाँ पहले से क्लियर कर देता हूँ,  ये ब्लॉग सिरीज़ इंट्रेस्टिंग होगी और लंबे समय तक कंटिन्यू रहेगी इसकी न कोई गारंटी है और न कोई वारंटी । मिलते हैं दो हज़ार चौबीस में।

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