डाइवोर्स

डाइवोर्स बुरा, दहेज भला – आधुनिक समाज की पौराणिक कथा।

Indian wedding dowry system - डाइवोर्स बुरा, दहेज भला
डाइवोर्स बुरा, दहेज भला Image source – www.freepik.com
 

अपने आस पास देखकर क्या आपको नहीं लगता कि डाइवोर्स बुरा, दहेज भला?

पिछले कुछ समय में दहेज को लेकर कई लोगों से बात हुई। दहेज कानून के हिसाब से जुर्म है। ये जानते हुए भी बहुत से लोग। अब भी उसे गलत नहीं मानते। वहीं दूसरी तरफ, डाइवोर्स (तलाक़) सोच समझकर दो वयस्कों का लिया गया फैसला। और कानून के हिसाब से होने वाली प्रक्रिया है। उसे बहुत बुरा माना जाता है। इतना बुरा की अगर आपसे पूछा जाए कि डाइवोर्स को हिंदी में क्या कहते हैं? तो बिना गूगल किये बताना मुश्किल होगा। हमने डाइवोर्स को कभी मन से अपनाया ही नहीं। और, दहेज को खुद से दूर करने के लिए मन नहीं बना पाए। वैसे, डाइवोर्स को हिंदी में विवाह विच्छेद कह सकते हैं ।

इसी के साथ शुरू करते हैं,आधुनिक समाज की पौराणिक कथा। और समझते हैं क्या सच में डाइवोर्स बुरा, दहेज भला?

आज की पीढ़ी की दुविधा

आधुनिक जीवन जीने वाली युवा पीढ़ी, शादी करने के लिए परिपक्व है। लेकिन अपने फैसले लेने के लिए बगावत से कम कुछ काम नहीं आता। जीवन साथी खोज लेने के लिए मोबाइल एप्प्स हैं। पर जब बात लेने देन की आये तो उन्हें बच्चा बना दिया जाता है। रिश्ते बनाना या खत्म करना दोनों ही मुश्किल हैं।

डाइवोर्स बुरा, दहेज भला - आधुनिक समाज की पौराणिक कथा। Indian youths dilemma
Image Source – Pixabay

सही मायने में कुछ भी पूरी तरह से सही या गलत नहीं होता। जब कोई ये कहे – जब बिना मांगे दहेज मिल रहा है, वो दहेज नहीं गिफ्ट या उपहार है। तो, आप एक बार सोच में पड़ ही जाते हैं। फिर जब यह कहा जाए कि वो दहेज लेना या देना नहीं चाहते। पर क्या करें? समाज ही ऐसा है। तो लाचारी नज़र आती है।

डाइवोर्स भी बहुत आसान नहीं। हो सकता है, ये फैसला हर किसी के लिए अच्छा हो। पति, पत्नी, और खासतौर पर उनके बच्चे। जिन्हें एक टॉक्सिक माहौल से छुटकारा मिलेगा। ये विडंबना ही है कि डाइवोर्स को दुःखद मान लिया जाता है। लेकिन, ऐसे रिश्ते जिनकी शुरुवात लालच, सामाजिक दबाव और लेन देन से शुरू होती है,उनको खुशी से, नाच गा कर, एक उत्सव की तरह मनाया जाता है।

लोग दहेज़ में कितना दिया या मिला। ये बडी शान से बताते हैं। वहीं अगर परिवार में किसी का डाइवोर्स हुआ हो। तो उसमें शर्म महसूस करते हैं। कुछ उसी तरह जैसे बदमाश लड़के छेड़खानी करना शान समझते हैं। और, लड़कियां उसमे अपनी ही गलती खोज लिया करती हैं। क्या करें समाज ही ऐसा है। हम ये भूल जाते हैं कि समाज हम से ही बनता है।

डाइवोर्स एक अंत नहीं शुरुवात

Divorce - डाइवोर्स  - तलाक़ -विवाह विच्छेद, separation is better than toxic relationship
Image Source – Pixabay

कोई भी फैसला जल्द बाज़ी में नहीं लेना चाहिए। तलाक भी अचानक नही होते। लेकिन जब आप साथ नहीं जी सकते। तो, लड़ने झगड़ने से बेहतर है, अलग हो जाना। कुछ लोग कह सकते हैं कि बच्चों के लिए डाइवोर्स बुरा है। बिल्कुल, बच्चों के लिए मुश्किलें बढ़ जाती है। पर यकीन मानिए रोज़ अपने माता पिता को लड़ते हुए देखने से जो नकारात्मक असर पड़ता है। वो कहीं ज्यादा भयावह है।

जो बच्चे टॉक्सिक (नफरत से भरे) रिश्ते देखते हुए बड़े होते हैं। उनका रिश्तों पर भरोसा नहीं रहता। वो आसानी से किसी पर भरोसा नहीं कर पाते। इसे विडंबना ही कह सकते हैं। कि बहुत से लोग एक दूसरे से नफरत करते हुए ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं। ये सोचकर कि वो जो कर रहे हैं। वो बच्चों की भलाई के लिए कर रहे हैं। असल में वो बच्चों की आड़ में खुद को सामाजिक प्रताड़ना से बचा रहे होते हैं। हम आसानी से भूल जाते हैं कि हम जो कुछ भी करते या कहते हैं। बच्चे वही सीखते हैं। चाहे वो सही हो या गलत।

Mom and Daughter - Hindi Blog on Dowry, Divorce and Modern Day relations by Gaurav Sinha
डाइवोर्स बुरा, दहेज भला
Image Source – Pexels.in

वैसे भी हर अंत के एक नई शुरुआत होना तय है। तो फिर क्यों न हम नज़रिया बदलें? किसी के “विवाह विच्छेद” पर शोक मनाने की जगह बधाई दें। जीवन के इस नए पड़ाव के लिए दिल से शुभकामनाएं दें।

दहेज में अच्छा क्या है?

कुछ नहीं। जी, हम 10 बहाने बना सकते हैं इसको सही बताने के लिए। पर अगर ठंडे और खुले दिमाग से सोचें। तो, ये एक कुरीति है, जिसका समाज में हर किसी पर गहरा असर पड़ता हैं। उदाहरण के लिए जैसे ही घर में लड़की का जन्म होता है। बाकी खुशियां एक तरफ। कहीं न कहीं उस छोटी सी बच्ची को देखकर हम में से अधिकतर। उसकी शादी की चिंता में घिर जाते हैं। क्यों? क्योंकि वहुत खर्च होगा, दहेज देना होगा। फिक्स्ड डिपाजिट कर दिए जाते हैं। अरे, उसकी पढ़ाई पर ख़र्च करो, उसके साथ घूमने जाओ, दुनिया देखो और उसे भी दिखाओ।

Dark side of dowry system, दहेज - Dahej Pratha
Image Source – DTNext.in

अगर आप अपने बेटे के लिए दहेज ले रहें हैं। तब भी क्या अच्छा है उसमें? एक तरह से उसका मोल भाव कर रहें हैं। शादी के बाद क्या वो अपनी पत्नी से नज़रें मिला पायेगा? एक रिश्ता जिसकी शुरुआत में ही खटास हो आगे जाकर वो खटास बढ़ेगी ही, कम तो नहीं होगी। हुई भी तो बहुत मुश्किल से।

अगर आप की शादी हो रही है। और, आप अपने माता पिता को दहेज लेने या देने से नहीं रोक रहे। तो, आप उनकी इज़्ज़त नहीं कर रहे। उनके उस गलत निर्णय में शामिल हैं। याद रखिये आपके माता पिता अलग समय में पले बढ़े। उस समय दहेज को कानून और समाज दोनों की मान्यता प्राप्त थी। गलत नहीं समझा जाता था, शायद सामाजिक जरूरत रही होगी। Dowry Prohibition Act भी 1961 में ही लाया गया था।

हम कर ही क्या सकते हैं?

चाहें तो बहुत कुछ, और न चाहें तो कुछ नहीं। सबसे पहले ये समझें कि आपकी अपनी सोच क्या हैं? दहेज या डाइवोर्स के बारे में। अगर आपको दहेज गलत लगता है। तो खुलकर अपनी बात अपने दोस्तों और परिवार के सामने रखिये। अक्सर हम बिना लड़े ही हथियार डाल देते हैं।

Social Experiment Source – YouTube/NDTV

अगर दहेज लेना परिवार की परंपरा या मजबूरी है। तो उसे खत्म करें। अक्सर सुनते हैं बहन की शादी में इतना ख़र्च हुआ था, अब लड़के की शादी में लेन देन करना ही होगा। और इस तरह एक कभी न रुकने वाले झूले में लपक कर बैठ जाते हैं। जिससे उतर पाना नामुकिन तो नहीं, पर मुश्किल तो हो ही जाता है।

दिक्कत ये है कि समाज खुलकर इन विषयों पर बात नहीं करता। समाज तो दूर की बात , हम परिवार के साथ डिनर टेबल पर इधर उधर की गप्प रोज़ ही करते हैं। कभी ऐसे मुद्दे जो इतना गहरा प्रभाव डालतें हैं। उस पर भी एक दूसरे का मन टटोलें तो बेहतर होगा।

कम से कम फेक न्यूज़ शेयर करने से तो बेहतर है, सामाजिक कुरूतियों पर चर्चा करना।

अन्ततः (Finally)

ये जरूरी नहीं कि जो भी मैंने लिखा सब सही है। मेरी जितनी समझ है, उस हिसाब से अपने विचार आपके सामने रखे। इसमें कुछ गलत हो तो बताएं, और सही हो तो भी बताएं। आप क्या सोचते हैं, दहेज और डाइवोर्स के बारे में? जरूर बताएं। और हां, अगली बार किसी का डाइवोर्स हो तो उसमें खुशी जताएं। पता चले किसी ने दहेज नही लिया। तो उसको शक की नज़र से देखने की बजाए, उसकी दिल खोल कर तारीफ करें।

कोरोना फिर से पैर पसार रहा है मास्क लगाएं और सतर्क रहें 🙂

दहेज बुरा और नफरत से भरे रिश्ते से डाइवोर्स कहीं भला।

– गौरव सिन्हा
Share
Scroll Up