
हम बस शेयर करना चाहते हैं। इसे सोशल मीडिया का दोष कहें या स्मार्ट फोन की दी हुई बीमारी। मगर अगर ईमानदारी से सोचा और कहा जाए, तो बात सोलह आने सच है। चाहे हम कोई फिल्म देख रहे हों। या फिर कुछ पढ़ रहे हों।
हद तो तब हो जाती है जब छोटी सी छोटी बात जैसे खाना खाना, सड़क पर चलते हुए कुछ अच्छा दिख जाना भी इस आदत का शिकार होने लगती है। हम खाने से पहले, कुछ देखने से पहले, यहाँ तक कि दिमाग में कुछ सोचने से पहले। उसे शेयर कर देना चाहते हैं।
यूँ तो शेयर करना कोई बुरा काम नहीं। सुख हो या दुख, साझा करने से बढ़ता और घटता ही है। यानि बेहतर ही होता है। मगर ये शेयर करना, स्टेटस पर लगाना आज के दौर का स्टेटस सिम्बल हो गया है। इंस्टेंट स्टेटस लगा, और इससे पहले कि वो स्टेटस या स्टोरी साँस ले पाये। धड़ाम से एक और उसके ऊपर थोप दिया जाता है।
अब जब मैं ये लिख रहा हूँ तो भी मन में यही चल रहा है कि कैसे शेयर करूँ। और कंटैंट से भरपूर इस दुनिया में थोड़ा और कंटैंट कैसे भर दूँ। मगर इस बार इस अति शेयर करने कि आदत पर लगाम लगाने के लिए, पेन और पेपर का सहारा लिया है। ताकि शेयर करने के लिए टाइप करने कि मेहनत करनी पड़े। ये भी हो सकता था कि इसकी फोटो खींच कर पोस्ट कर देता, मगर हैंड राइटिंग इतनी सुंदर है कि किसी को क्या ही समझ आएगा। मगर इतना तय है कि ये भी शेयर होगा, उसके बिना गुज़ारा नहीं।
ख़ैर बिना सोचे समझे, बिना रुके और एडिट किए, लिखने का अभ्यास अच्छा रहा। ट्राई कीजिये और अपने अनुभव शेयर कीजिये।
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