कोरोनावायरस महामारी ने हम सभी को प्रभावित किया है। हालाँकि, यह अभिशाप के बजाय वरदान के रूप में सामने आ सकता है। हम COVID-19 लॉकडाउन के 5 सकारात्मक प्रभावों की चर्चा यहां करेंगे। अक्सर घटनाएं तब होती हैं जब उनके होने की किसी ने कल्पना ना की हो। क्या आपने कभी सोचा था कि एक समय ऐसा होगा जब पूरी दुनिया लॉकडाउन में होगी ? इस युग में जब हर दूसरा व्यक्ति ये मानता हो कि “समय ही पैसा है, पूंजी है” और एक स्थान से दूसरे स्थान इस तरह भागता है, जैसे कि उसके रुकते ही जीवन समाप्त हो जाएगा। हम में से किसी ने भी हमारे अजीब से अजीब सपनों में इसकी कल्पना नहीं की होगी। लेकिन जब साल 2019 खत्म होने को था, एक वायरस ने अपनी शानदार एंट्री की। कोरोना-वायरस या कोविद -19। इससे पहले कि हम COVID-19 के सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा करें, इस आधुनिक समय के वायरस से प्रभावित हुए मानव जीवन के आँकड़ों को देखते हैं, 31 मई, 2020 तक इस महामारी का कोई टीका या इलाज नहीं मिल पाया है। सबसे अच्छा संभव तरीका एहतियात है, मतबल शारीरिक और सामाजिक दूरी बनाए रखना ।
क्या कोरोना-वायरस इतना बुरा है? क्या यह मनुष्यों के लिए अभिशाप के भेस में वरदान हो सकता है? इससे पहले कि हम COVID-19 लॉकडाउन के 5 सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा करें। आइए पहले समझे कि यह महामारी क्या है ? और इसने कब और कैसे हमारे जीवन में प्रवेश किया।
COVID-19 क्या है?
COVID-19 एक अत्यधिक संक्रामक रोग है जो गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस 2 (SARS-CoV-2) के कारण होता है। यह पहली बार नवंबर 2019 में वुहान, चीन में पहचाना गया था, और तब से यह विश्व स्तर पर लगभग सभी देशों को प्रभावित कर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप एक महामारी चल रही है। जैसा कि मैंने कहा, पिछले कुछ समय में टीका निर्माण के दावों को कई देशों द्वारा किया गया है हालांकि, अभी तक कुछ भी पुष्ट रूप से नहीं है। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेतावनी दी है कि ” ये संभव है कि कोरोना कभी खत्म ही ना हो” । इसमें कोई संदेह नहीं है कि भविष्य अनिश्चित है और बहुत सारी चुनौतियां लाएगा। मेरा यह मानना है कि हमेशा की तरह हम मजबूत और बेहतर बनकर इस संकट से बाहर निकलेंगे इसने कोई संदेह नहीं।
“हर पल एक नई शुरुआत है।” —टी.एस. एलियट
सबसे बड़ी बात यह कि यह कोई अंत नहीं है, और जब भी हम चाहें तब शुरुआत की जा सकती है !
चलिए कुछ अच्छी बातों पर गौर करें, जो कोविद -19 की बदौलत हुई हैं !
शुक्रगुजार होना : कितनी बार ऐसा होता है कि आप सुबह उठते हैं और अपने पास मौजूद चीजों के लिए आभारी महसूस करते हैं? अधिकांश मानसिक स्वास्थ्य कोच, योग और ध्यान शिक्षक या गुरु अक्सर आपको आभार व्यक्त करने के लिए कहते हैं। यदि आप इन शब्दों से इत्तेफाक रखते हैं तो कृपया इस लिंक को देखें। लोगों ने जीवन में छोटी छोटी चीजों के मूल्य को महसूस करना शुरू कर दिया है। अचानक अपने प्रियजनों के साथ होना पैसे के ढेर अर्जित करने से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है। अब हम जानते हैं कि हम कपड़ों की खरीदारी किए बिना और हर दूसरे सप्ताहांत में फिल्म देखने जाए बिना भी जीवित रह सकते है । ये विलासिता ही हैं और चीजें जो वास्तव में जरूरी हैं वह घर का खाना, पीने का पानी और सिर पर एक छत ही है। किराने का सामान खरीदने के लिए कार लेकर निकाले बिना, आप 1000-2000 मीटर तक चल सकते हैं और अच्छा महसूस कर सकते हैं कि इसी बहाने आपको चलने का मौका मिला। मुझे यकीन है कि इसी तरह के कई अन्य उदाहरण हैं जो आप में से प्रत्येक के पास होंगे। कृपया टिप्पणी कर उन्हें साझा करें, मैं उन्हें सुनना पसंद करूंगा।
पैसा हर चीज का जवाब नहीं है: इस महामारी ने विकसित देशों को पिछड़े या विकासशील देशों की तुलना में बहुत अधिक प्रभावित किया है। आप सोच रहे होंगे कि ये तो सेब की तुलना संतरे से करने जैसा है। आप सही हैं और यही असल बिंदु है। संयुक्त राज्य अमेरिका और भूटान के मामलों की संख्या को देखें। शुक्र है कि अब तक भूटान में कोई हताहत नहीं हुआ। मेरी बात प्राथमिकताओं के बारे में है, क्योंकि हम कैसे आगे बढ़ते हैं या किसी तरक्की मानते है वो बहुत मायने रखता है । क्या पूंजीवाद समाज के लिए सबसे अच्छा है? क्या हम कुछ बदलाव कर सकते हैं कि हम कैसे रहते हैं और असल विकास किस बात को माना जाए ? क्या हमें अपने मूल्यों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है? मजेदार तथ्य: भूटान को दुनिया में सबसे खुशहाल देश के रूप में जाना जाता है और वे सकल राष्ट्रीय खुशहाली को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) या सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) की तरह एक सूचकांक मानते हैं जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह विचार करने लायक बात है । कोरोना को धन्यवाद इसने हमें रुकने और सोचने का समय दिया !
घर से काम: घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) की क्षमता COVID-19 लॉकडाउन का एक और बड़ा सकारात्मक पहलू है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ जो तकनीकी विकास करने का दावा करती हैं और पुनः इंजीनियरिंग और स्वचालन जैसे शब्दों का इसतेमाल करती रहती हैं, उन्हें करारा झटका लगा। वैसे अभी नौकरियों में कमी और आय में कटौती भी जारी है हालांकि, चूंकि हम उज्जवल पहलुओं को देख रहे हैं। इस बात पर कोई बहस नहीं है कि शुरुआती हिचकी के बाद अचानक सभी को एहसास हुआ कि वे कौन लोग हैं जो असल में काम संभालते हैं और उन सभी को आनन फानन में घर पर ही काम करने की सुविधा दी गई । कम से कम आईटी क्षेत्र में 90% से ऊपर कर्मचारी घर से काम करने के विकल्प बने और नुकसान बहुत कम हुआ । क्या आप इस बात से सहमत नहीं होंगे कि घर से काम करने का विकल्प होना कई लोगों के लिए एक आशीर्वाद हो सकता है, विशेष रूप से जिन्हें अपने परिवार और पेशेवर समय का सही हिसाब बैठाना है? कोरोना से पहले। दुनिया के अधिकांश प्रमुख शहरों में, काम के घंटों में कार्यालय और वापस घर की लंबी और दर्दनाक यात्रा शामिल थी। रोजाना 2-4 घंटे की यात्रा सामान्य हो गई है। यह हर किसी के अनुरूप नहीं हो, ये हो सकता है, लेकिन यह सब पर लागू होता है। कुल मिलाकर कंपनियों ने लंबी अवधि के लिए घर से काम करने की योजना बनाना शुरू कर दिया है। यह कर्मचारियों को लचीलापन देता है जिसका अर्थ है दुनिया में कुछ अधिक खुश लोग ।
आत्मनिरीक्षण: हममें से प्रत्येक के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि हमें आत्मनिरीक्षण या आत्म-चिंतन के लिए समय मिला है। जिसमे हम हर पहलू पर गौर कर रहे है । नियमित जीवन से छुटकारा पाने के लिए, कहीं पहुंचने की पागल दौड़, कुछ हासिल करना, बुरी आदतें, झूठे अहंकार और भी बहुत कुछ । अचानक दोस्त वीडियो कॉल पर फिर से मिल रहे हैं, परिवार एक साथ आ रहे हैं, घंटों फोन पर बात कर रहे हैं। नियमित रूप से हाथ धोना, घर पर केक बनाना, ख़ुद बर्तन साफ करना, फर्श को साफ करना जैसी चीजें त्योहार की तरह मनाई जा रही हैं। कई लोग यह मानने लगे हैं कि “कम ज्यादा है” पैसे बस जरुरी चीजें के लिए ठीक है, आप विलासिता के बिना खुशी से रह सकते हैं। प्रकृति को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है, हमें अपनी जीवन शैली और जीवन मूल्यों को ठीक करने की आवश्यकता है। मनुष्य को प्रकृति के साथ रहने की जरूरत है जैसा कि अन्य प्रजातियां करती हैं। यह मन, शरीर और आत्मा की साफ होने जैसा है ।
हां, यह आसान नहीं है – “आप कह सकते हैं कि एयर कंडीशन घरों में दार्शनिक बन जाना अलग बात है। उन लोगों से पूछें जो बुनियादी सुविधाएं या पर्याप्त भोजन पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ” मैं पूर्णतः इस बात को मानता हुँ। हालांकि, यह सभी के लिए आत्म-प्रतिबिंब का समय है। यहां तक कि प्रवासी कामगार जो अपने घरों को छोड़कर कमाने और कठिन जीवन जीने के लिए आते हैं। उन्हें खुद को कद्र और सम्मान देना शुरू करना चाहिए। काम करने के लिए अधिकारियों और स्थानीय सरकारों से सवाल करना शुरू करें और उन्हें अवसर प्रदान करने के लिए बाध्य करें ताकि उन्हें अपने परिवारों को पीछे छोड़कर बाहर न जाना पड़े। बुनियादी अवसरों की कमी के कारण प्रवासन बताता है कि कहां क्या गलत है । आप सभी किसी की ज़रूरत में मदद करें इससे बहुत फर्क पड़ेगा।
मुझे दृढ़ता से लगता है कि यह महामारी अभिशाप के भेस में एक आशीर्वाद है, मानव सभ्यता के लिए एक वरदान है जो ढहने के कगार पर थी। हम एक कठिन संक्रमण से गुजर रहे हैं और बेहतर बनकर उभरेंगे। इसलिए उम्मीद कायम रखें, दयालु बनें, और काले बादलों के बीच से टिमटिमाते हुए प्रकाश की तलाश करते रहें। तूफान के बाद सूरज हमेशा चमकता है। COVID-19 या लॉकडाउन ने आपको कैसे प्रभावित किया है? कृपया एक ऐसा सकारात्मक बदलाव साझा करें जिसे आपने अपने जीवन में हाल ही महसूस किया हो। टिप्पणी अनुभाग में या किसी भी सोशल मीडिया चैनल पर अपने विचार रखें । कोरोना काल में हमें एक दूसरे को उम्मीद और भरोसे से संक्रमित करते रहना है । नमस्कार !
स्रोत:
- Wikipedia – https://www.wikipedia.org/
- Pexels – https://www.pexels.com/
- thehindu – https://www.thehindu.com/news
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जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। और हा जो हो रहा है खराब के लिए हो रहा है क्युकी मानव खुद से प्रेम करता है पर्यावरण से नहीं। कृपया इस कथन को भी समझे।
शुक्रिया गोविंद ! जो हो रहा है, वो बेशक कुछ गलत वजहों से हो रहा हो। मगर इसके परिणाम अंततः अच्छे ही होंगे ये मेरा मानना है ! हमें उम्मीद बनाए रखनी होगी तभी सफलता से इस महामारी का सामना कर पाएंगे !