कुछ दिनों पहले शाम को चाय पीते समय मौसेरे भाई का कॉल आया | हाल चाल पूछने के बाद बात कोरोना और लॉक डाउन पर आ टिकी। बताने लगा की कैसे कुछ रोज़ पहले उसके एक रिश्तेदार का एक्सीडेंट हुआ और गहरी चोटे आई , लेकिन लॉक डाउन की वज़ह से डॉक्टर को दिखवाने में बहुत दिक्कते हुई | इसमें नया कुछ नहीं लगा अब ये बातें आम सी लगने लगी हैं | मन सोचने पर तब मजबूर हुआ जब उसने बताया कि कैसे वो युवक सड़क पर बहुत देर तक पड़ा रहा , उसका बहुत खून बहा और सर पर भी गहरी चोट आई लेकिन कोई आगे बढ़कर उसको देखने नहीं आया | भगवन का शुक्र है की दो युवा लड़कों ने समझदारी दिखाकर उसको हॉस्पिटल के सामने तक पहुँचाया और उसकी जान बची | कोरोना को लेकर इतना भय हमारे अंदर भर चूका है की कहीं न कहीं इंसानियत का वजूद खतरे में है | फिजिकल डिस्टैन्सिंग की जगह सोशल डिस्टैन्सिंग बढ़ती जा रही है !
देश यूँ भी एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है, कुछ ही महीनों पहले जहाँ कोरोना दस्तक दे रहा था | देश का “दिल और धड़कन” कहा जाने वाला शहर यानि दिल्ली सांप्रदायिक पागलपन का शिकार हुआ था | उम्मीद है दोषियों को वक़्त से सजा और लोगो को भी कुछ समझ मिलेगी कि किस तरह बात का बतंगड़ हो जाता है अगर संयम से काम न लिया जाये |
अब जब दुकानों के बाहर धरम “बोल्ड” में लिखा दिखताहै तो समझ नहीं आता रोना अच्छा, हंसना अच्छा, या फिर कोरोना ही अच्छा |
देश में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगा और 24 मार्च से पुरे देश में लॉक डाउन शुरू हुआ ताकि कोरोना वायरस महामारी से लड़ा जा सके | कुछ समय के लिए लगा की चलो जिस तरह क्रिकेट मैच देश को जोड़ दिया करता था, उसी तरह ये कोरोना भी शायद कुछ कमाल कर दे | शायद हम में से बहुत लोगों ने कुछ ज़्यादा ही अपेक्षा कर ली थी | जल्द ही कोरोना की बजाय हमेशा की तरह हम आपस में लड़ते नज़र आये | कभी खबर आई कि किसी एक धर्म के सब्ज़ी और फल बेचने वालो को परेशान किया जा रहा है | ऐसा नहीं है की सिर्फ न्यूज़ में ही ऐसा है | हम सभी ने अपने आस पास ये महसूस किया होगा | अफवाहों ने मीट और पोल्ट्री व्यापार पे भी प्रहार किया ही था | ये नफरत इसको 4 कदम आगे ले आई | अब जब दुकानों के बहार धरम “बोल्ड” में लिखा दिखताहै तो समझ नहीं आता रोना अच्छा, हंसना अच्छा, या फिर कोरोना ही अच्छा |
ऐसा नहीं की सब कुछ बुरा है बहुत से अच्छे काम हो रहे हैं | बहुत से लोगों ने अपनी जमा पूंजी अनजान भूख से बेहाल मजबूरों को खाना खिलाकर ख़तम कर दी, तो बहुत से गुरुद्वारों में लंगर बांटे गए सिर्फ देश ही नहीं विदेशों से भी खबरे सुनने में आयी और सुनकर इंसानियत पे भरोसा कायम होता रहा |
आप में से जो कोई भी नार्थ ईस्ट गया है , वो ये जरूर मानेगा कि वहां के लोग मिलनसार, पढ़े लिखे, सभ्य और शांति पसंद हैं | पिछले साल मेरा सिक्किम जाना हुआ और मुझे ये ताज़्ज़ुब हुआ कि क्या ये भारत ही है ? फिर चाहे वो सफाई का जज़्बा हो, कायदा क़ानून मानने की आदत , फर्राटे दार इंग्लिश, लड़कियों और महिलाओं का आधुनिक पहनावा और बेजिझक काम करना, पहाड़ी रास्तों पर बिना किसी डर के स्कूल जाते बच्चे | सबसे बड़ी बात सबके चेहरे पर एक बेबाक हंसी | ऐसा नहीं की वहां दिक्कते नहीं, पर कुछ अलग लगा | अगर आप उत्तर भारत में रहते हैं तो एक बार जरूर नार्थ ईस्ट घूम कर आइये लॉक डाउन के ख़तम होते ही | आपको फर्क समझ आएगा | कोशिश कीजिये थोड़ा अपने शहर से बाहर निकलकर पुरे भारत को जानने की, पहचाने की, फिलहाल तस्वीरों से काम चला लेते हैं |
नार्थ ईस्ट के बारे में जब बात हो ही रही है तो, थोड़ी कड़वी बातें भी कर लेते हैं | कुछ बहुत ही बुरे प्रसंग हुए जैसे की नार्थ ईस्ट के एक नागरिक को “कोरोना” कहना, उनपर थूक देना | ऐसा नहीं है की भारत ही नस्लभेद रंगभेद और जातिवाद जैसी बकवास मानसिकताओं का शिकार है , ये हर जगह है | दुःख की बात है की ऐसे वक़्त में जब हम सदी के सबसे मुश्किल समय में हैं हम खुद अपने अंदर से नफरत को नहीं निकाल पा रहे |
जिन लोगों ने 80 और 90 दशक दूरदर्शन देखा है | उन्हें ये लाइने याद होंगी “हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं” या फिर “मिले सुर मेरा तुम्हारा ” | थोड़ा वक़्त निकलकर यूट्यूब पर खुद भी देखिये और बच्चों को भी दिखाइए | वक़्त आ गया है थोड़ा पीछे कदम रखकर फिर एक नई शुरुवात करने का |
कोरोना से जब को सेलिब्रिटी या नेता ग्रसित होता है तो हम सोशल मीडिया और न्यूज़ पे बड़ी बड़ी बातें सुनते हैं वहीँ अगर अपने पड़ोस में कोई कोरोना पॉजिटिव आ जाये तो उससे नफरत करने लगते हैं | हम सब में सबसे ज्यादा आधुनिक शायद कोरोना वायरस है जो बिना किसी भेद भाव के सबके साथ एक सा व्यवहार कर रहा है | कटाक्ष है , समझिये और थोड़ा सोचिये | अगर पसंद आये तो बात को आगे बढ़ाइए हिन्द देश के निवासिओं !
अगर आपको कटाक्ष पसंद है तो ये आर्टिकल भी जरूर पढ़ें !
“सोशल डिस्टैन्सिंग तो सदियों से करते आये, वक़्त फिजिकल डिस्टैन्सिंग का है, करो ना !” – गौरव सिन्हा
सोर्स
- https://www.thehindu.com/news/national/other-states/uttar-pradesh-bjp-mla-caught-on-camera-telling-people-not-to-buy-vegetables-from-muslim-vendors/article31452761.ece
- https://www.news18.com/news/india/he-spat-and-called-me-corona-racism-against-north-east-indians-feeds-off-coronavirus-panic-2549223.html
Beautifully written.we all are one irrespective of caste ,creed..this is one of the reason why India is called incredible INDIA
Totally agree with you Mohini
Thank you. Absolutely, India is incredible indeed!
Very well written!!!
Thank you for the read!
Bahut accha article…
Thank you Taruna. 🙂
Wow! And i love the pictures❤️
My fav were the vedios..it just refreshed
Thank you. Yes those Gangtok pics are my favorite too 🙂
Great article
Thank you Parikshit!
Bahut Badiya article hai Gaurav ji
Thank you Anjali !
Corona has ,unfortunately given another reason for displaying divisive mindset….visiting north east is on my checklist..it was nice how you explained 90s era mindset to refresh readers mind to give a chance to reset their today’s action..
Thank you Anurag. Appreciate your detailed input. Glad you liked it. I’m sure you would love North East visit!
Person in North East are quite down to earth and they believe in themself and follow rules strictly for self and mankind. We should learn from them.
I have been to North East ( unfortunately not Sikkim, but further interior) and it is beyond our imagination, and as said they understand rules n cleanliness. Loved it, but yes Sikkim is on my list too…
Nicely spread of words. Keep it up… 🙂
Couldn’t agree more. Thank you for kind words Pramod. Glad you liked the article !
Sach ka samna aaj kal ke reporting language me . I agree on cleaniness part on North east but thought process and behaviour is different towards people from other place.
Thank you Raj. I hear you when you say behaviour is different towards people from other places. Luckily I did not notice it. However it’s true for every region. The only way to rectify is by mingling more instead of keep blaming each other. Bahut se log bina experience ke opinion bana lete hain wo problematic hai. But you got a valid point!
Nice Article….Well said….Keep Writing
Thank you so much. Appreciate it.